India-Thailand के बीच संस्कृत और हिंदी को बढ़ावा देने की पहल
भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक और भाषाई संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। हाल ही में, भारतीय राजदूत और सिल्पाकोर्न यूनिवर्सिटी (बैंकॉक) के अध्यक्ष ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) संस्कृत चेयर की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) का नवीनीकरण किया। यह कदम दोनों देशों के बीच भाषाई और सांस्कृतिक सहयोग को और मजबूत करेगा।
थाईलैंड में संस्कृत और हिंदी का महत्व
संस्कृत भाषा का दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, विशेष रूप से थाईलैंड, की दर्शन, धर्म, भाषा और साहित्य पर गहरा प्रभाव रहा है। यह भाषा पिछले 100 वर्षों से थाईलैंड में पढ़ाई जा रही है। इसी को बढ़ावा देने के लिए 1996 में संस्कृत अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई थी।
हिंदी भाषा भी थाई छात्रों में लोकप्रिय हो रही है, खासकर बॉलीवुड, भारतीय पर्यटन और व्यापार संबंधों के कारण। थाईलैंड में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए 2013 में ICCR और थामासाट यूनिवर्सिटी ने एक समझौता किया था, जो 2025 तक मान्य रहेगा।
संयुक्त प्रयास और पहल
भारत और थाईलैंड द्वारा किए गए प्रमुख प्रयासों में शामिल हैं:
1. संस्कृत अध्ययन केंद्रों की स्थापना – थाईलैंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों में संस्कृत अध्ययन केंद्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
2. हिंदी भाषा पाठ्यक्रम – थाई छात्रों को हिंदी सिखाने के लिए विशेष पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं।
3. शिक्षा और शोध सहयोग – भारतीय शिक्षकों और संस्कृत विद्वानों को थाईलैंड के विश्वविद्यालयों में आमंत्रित किया जा रहा है।
4. संस्कृति और साहित्य का अनुवाद – भारतीय धार्मिक ग्रंथों और साहित्य को थाई भाषा में अनूदित किया जा रहा है।
भविष्य में संभावनाएं
संस्कृत और हिंदी का प्रचार भारत और थाईलैंड के संबंधों को और मजबूत करेगा। इससे शिक्षा, पर्यटन और व्यापार के नए अवसर खुलेंगे। इसके अलावा, थाई छात्रों को भारतीय संस्कृति को बेहतर समझने का मौका मिलेगा।