शहीद चंद्रशेखर आज़ाद जयंती 2025: स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धा को नमन
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शहीद चंद्रशेखर आज़ाद जयंती 2025: भारत माता के वीर सपूत को श्रद्धांजलि
भारत की स्वतंत्रता संग्राम की गाथा चंद्रशेखर आज़ाद के बिना अधूरी है। 27 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद करता है। उनकी देशभक्ति, निडरता और बलिदान ने स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। इस लेख में हम चंद्रशेखर आज़ाद के जीवन, संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालेंगे।
चंद्रशेखर आज़ाद का प्रारंभिक जीवन
चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भाबरा (अब चंद्रशेखर आज़ाद नगर) में हुआ था। उनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था। बचपन से ही उनमें देशभक्ति की भावना प्रबल थी। जब 1921 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया, तो मात्र 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने भी इसमें भाग लिया और पहली बार गिरफ्तार हुए।
क्रांतिकारी जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
चंद्रशेखर आज़ाद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम् भूमिका निभाई। उन्होंने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और रामप्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) का गठन किया। उनका लक्ष्य अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराना था।
काकोरी कांड और भगत सिंह के साथ क्रांतिकारी गतिविधियाँ
1925 में हुए काकोरी कांड में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसमें ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटा गया था। इसके बाद उन्होंने भगत सिंह और उनके साथियों के साथ लाहौर षड्यंत्र केस और सांडर्स हत्या कांड को अंजाम दिया।
चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत (27 फरवरी 1931)
27 फरवरी 1931 को जब पुलिस ने इलाहाबाद के एल्फ्रेड पार्क (अब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क) में उन्हें घेर लिया, तो उन्होंने बहादुरी से मुकाबला किया। जब उनके पास आखिरी गोली बची, तो उन्होंने खुद को गोली मारकर आज़ाद रहने का संकल्प पूरा किया।
चंद्रशेखर आज़ाद के विचार और उनकी प्रेरणा
चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा था—
“हम आज़ाद थे, आज़ाद हैं और आज़ाद ही रहेंगे!”
उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। उन्होंने अपने जीवन में कभी अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया और आखिरी दम तक भारत माता की स्वतंत्रता के लिए लड़े।
चंद्रशेखर आज़ाद जयंती 2025 क्यों महत्वपूर्ण है?
हर साल 27 फरवरी को शहीद चंद्रशेखर आज़ाद दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोग उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और उनके बलिदान को याद करते हैं। सोशल मीडिया और विभिन्न आयोजनों के माध्यम से उनकी विरासत को आगे बढ़ाया जाता है।
निष्कर्ष
चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे वीर सेनानियों में से एक थे। उनका जीवन और बलिदान हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी जयंती पर हमें उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए और देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
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